निर्जला एकादशी स्पेशल व्रत विधि एवं फल

Опубликовано: 10 Июнь 2022
на канале: How Jitendra
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इस साल निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) व्रत दो दिन है. गृहस्थ लोगों के लिए निर्जला एकादशी व्रत आज है और साधु-संन्यासी के लिए कल है. जो लोग आज निर्जला एकादशी का व्रत है, उनको भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, बिना जल ग्रहण किए व्रत रखना चाहिए और पूजा के समय निर्जला एकादशी व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. ऐसा करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है, पाप मिटते हैं और सभी एकादशी व्रतों का पुण्य लाभ प्राप्त होता है. ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं निर्जला एकादशी के मुहूर्त, मंत्र, पारण समय, व्रत और पूजा विधि के बारे में.

निर्जला एकादशी व्रत मुहूर्त 2022
निर्जला एकादशी व्रत की तिथि का प्रारंभ: 10 जून, शुक्रवार, प्रात: 07:25 बजे से
निर्जला एकादशी व्रत की तिथि का समापन: 11 जून, शनिवार, प्रात: 05:45 बजे पर
रवि योग: आज प्रात: 05:02 बजे से 11 जून को तड़के 03:37 बजे तक
पूजा का समय: रवि योग में सूर्योदय के बाद से

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निर्जला एकादशी पारण का समय
जो लोग आज निर्जला एकादशी व्रत हैं, वे अगले दिन 11 जून को दोपहर 01:19 बजे से शाम 04:05 बजे के बीच व्रत का पारण करेंगे.

कब से कब तक पानी नहीं पीना
निर्जला एकादशी व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी ति​थि के सूर्योदय तक पानी नहीं पीना है. ऐसा वेद व्यास जी ने भीम से कहा था. ऐसा करने से वर्ष के समस्त एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है.

व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद हाथ में जल लेकर निर्जला एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प लें. उसके बाद पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें.

2. अब आप पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें. फिर उनको पीले फूल, अक्षत्, चंदन, हल्दी, पान का पत्ता, सुपारी, शक्कर, फल, धूप, दीप, गंध, वस्त्र आदि ​अर्पित करें. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करें.

3. इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. फिर पूजा का समापन भगवान विष्णु की आरती से करें. उनसे मोक्ष प्रदान करने की प्रार्थना करें.

4. दिनभर आपको कुछ नहीं खाना है और न ही जल पीना है. स्वास्थ्य समस्या है, तो व्रत न रखें. अगले दिन सुबह​ स्नान करने के बाद विष्णु पूजा करें.

5. ब्राह्मणों को दान दक्षिण दें. फिर पारण के समय में जल और भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें. ऐसा करने से आपको सभी एकादशी व्रतों का पुण्य मिलेगा, जैसे भीम ने इस व्रत को करके प्राप्त किया था.